अखिल भारतीय कायस्थ महासभा(अभाकाम) कायस्थ जाति के सर्वांगीण विकास के लिए बनी सबसे पुरानी संस्था है। इसकी स्थापना सन् 1887 में हुई थी। अखिल भारतीय कायस्थ महासभा भारतीय सोसाइटी एक्ट के तहत एक रजिस्टर्ड संस्था है, जिसका रजिस्ट्रेशन संख्या 5680/ 1980-81 है।

यह संस्था विधिवत रूप से सन् 1981 से रजिस्टर्ड कार्यसमितियों द्वारा सुचारू रूप से संचालित हो रहा है, जिसका निर्वाचन महासभा में विधिवत् रूप से जुड़े सदस्यों द्वारा आम सभा में मत देकर किया जाता है।

तत्कालीन राष्ट्रीय कार्यसमिति 2018-19 का चुनाव दिनांक 24/02/2018 संपन्न हुआ जिसमे सबकी सहमती से माननीय सुबोधकांत सहाय,पूर्व मंत्री भारत सरकार, को अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के 82वें राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में चुना गया। संस्था का मूल उद्देश्य कायस्थ जाति का एकीकरण और उनका समुचित उत्थान है।

महासभा इस विचारधारा में विश्वास रखती है कि कायस्थों का सभी दिशाओं मे संतुलित विकास होना चाहिए, जिससे इस जाति की सदियों पुरानी शाख, शोभा, और प्रतिष्ठा बनी रहे, और इस ध्येय की प्राप्ति के लिए अखिल भारतीय कायस्थ महासभा सदैव तत्परता से कार्य कर रही है।

इस मिशन की प्राप्ति के लिए अभाकाम कई स्तर पर देश भर मे अभियान चलाती है। जहाँ सदस्यता अभियान चलाकर कायस्थों को महासभा से जोड़ा जाता है, वहीं अन्य कार्यक्रमों के माध्यम से समाजहित मे सबसे अपना योगदान करने की व्यापक अपील भी की जाती है।

अभाकाम द्वारा अपने विभिन्न उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर जरूरतमंद लोगों की मदद करने का प्रयास लगातार किया जाता है। इसके साथ अन्य कई कल्याणकारी कार्यक्रम भी समय समय पर किये जाते हैं जिससे आपसी और परस्पर सहयोग की भावना बढती है।